नियम व शर्तें

1. पदाधिकारी अपने पद का इस्तेमाल समिति के विरुद्ध नही करेगा और अगर ऐसा करते पाया गया तो समिति तुरंत पद मुक्त कर देगी एवम जरूरत पड़ने पर कानूनी कार्यवाही भी कर सकती है।
2. हिन्दू एकता समिति के द्वारा निर्धारित नियमो का पालन करना और कराना पदाधिकारियों की जिम्मेदारी होगी।
3. पदाधिकारी को अपने कार्य छेत्र में रहकर ही कार्य करना होगा। और जिला अध्यक्ष की गैर मौजूदगी में उनके कार्य की देख रेख करना।
5. अपने सामर्थ्य अनुसार जो भी पदाधिकारी अधिक सदस्यों को जोड़ेगा समिति द्वारा उनको सम्मानित किया जायेगा।
6. पदाधिकारी को समय समय पर समिति के द्वारा, प्रदेश अध्यक्ष एवं जिला अध्यक्ष द्वारा बैठक बुलाने पर उसमे सामिल होना अनिवार्य होगा।
7. प्रत्येक पदाधिकारी का कार्यकाल एक साल के लिए होगा (उनके शामिल होने की तारीख से)। एवम उनके कार्यों का अवलोकन करते हुए उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है।
8. सभी पदाधिकारी एवं सदस्य को समिति में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। जिसका शुल्क निर्धारित किया गया हैI
पदाधिकारी:- 1100/- सदस्य:- 101/-
9. हिन्दू एकता समिति को मजबूत करने के लिए संख्या बल बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक लोगो को जागरूक करके समिति से जोड़ने की प्रक्रिया को निरंतर जारी रखने एवम सदस्यों को जागरूक करने की जिम्मेदारी अध्यक्ष की होगी।
10. पदाधिकारी समिति का पद ग्रहण करने से पूर्व एक सपथ पत्र देना अनिवार्य होगा की वो किसी अन्य संगठन से नही जुड़ेंगे या जुड़ेगा जब तक वो हिन्दू एकता समिति में पद पर रहेगा। अगर समिति को पता चलता है की वो किसी अन्य संगठन से जुड़ा है तो समिति उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर सकती है।
11. अगर कोई पदाधिकारी समिति से त्यागपत्र देता है और जब तक उसका त्यागपत्र स्वीकार नहीं किया जाता वो पद से मुक्त नही हो सकता।
12. हिन्दू एकता समिति को मजबूत करने के लिए समय-समय पर धन की व्यवस्था का प्रबंध करना होगा, जैसे समिति का दिशा निर्देश जारी किया जायेगा।
13. पदाधिकारी को समिति में निष्क्रिय पाए जाने पर अथवा समिति के लिए कार्य नही करने पर समिति उनको पद से मुक्त करने के लिए बाध्य है।
14. समिति को मजबूत करने हेतु तन मन धन सभी तरीके से मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना है। एवं जिला अध्यक्ष को समय समय पर जानकारी देते रहना है।

नोट:- सभी पदाधिकारी गण से विनम्र निवेदन है की समिति द्वारा संपर्क किए जाने पर जवाब दे और समिति के नियम का पालन स्वयं करते हुए अपने साथियों को भी समिति नियम के अनुरूप कार्य करने की प्रेरणा दें, जिससे अनुशासन व्यवस्था बनी रहे।